संकल्प लौट कर आते हैं- Thoughts come back

संकल्प लौट कर आते हैं

संकल्प लौट कर आते हैं mind Power

हैलो दोस्तो आप इस लेख में पढ़ेंगे कि हम जो भी संकल्प करते हैं  क्या वह लौट कर आते हैं? अगर आपने पिछली पोस्ट संकल्प की शक्ति क्या है ? यह कैसे काम करती है जरूर पढ़ें ।

संकल्प लौट कर आते है ।

-मन में विचार  तरंगे उत्पन्न  होती है ।

-तलाब  में  पत्थर फैंकने पर लहरें  उठती है । वे धीरे धीरे बहती हुई तलाब  के अंतिम छोर तक जा पहुंचती  है । यह अंतिम तरंग वहाँ  मिलती है जहाँ  से ये तरंग शुरू हुई थी ।

-यह आकाश  भी  एक गोल  तलाब  है । इसका  अंतिम छोर  भी वही स्थान होता है जहां  से आरम्भ होता है ।

-मस्तिष्क से निकले विचार  विद्युत तरंग  होते है ।

-ये तरंगे आकाश में आगे आगे बढ़ती जाती है । आखिर में परिक्रमा पूरी करने के बाद  वापिस मूल स्थान पर लौट आती है ।

-ये तरंगे जिस क्षेत्र से गुजरती है उसे प्रभावित करती है और स्वयं भी  प्रभावित होती है ।

 -समान वर्ग के  पदार्थ अथवा प्राणी  एक दूसरे से प्रभावित और आकर्षित  होते है ।

-पालतू पक्षी उड़ा दिया  जाये तो वह अपनी ही जाति  के पक्षियों के झुंड में जा मिलेगा । अन्य पक्षियों की  उपेक्षा करता  हुआ  उसे अपनी जाति के पक्षी जहाँ  मिलेंगे वह वही अपने रहने का प्रबंध करेगा ।

-विचार  भी  एक प्रकार  के पक्षी है । वे अपनी ही जाति के विचार  प्रवाहों के साथ रिश्ता  बनाते और आदान प्रदान करते है ।

-कई पक्षी ऋतु परिवर्तन का लाभ लेने के लिये अपने जन्म स्थान से बहुत दूर उड़ जाते है  किंतु समय पर फ़िर लौट कर अपनी जगह वापिस आ जाते है ।

-विचारो की  यात्रा भी  इसी प्रकार की  है । उनकी तरंगे मस्तिष्क से उठती है । विश्व भ्रमण के लिये निकलती है । इस यात्रा में वे पुण्य बटोरती और दान पुण्य करती तीर्थ यात्रा जैसी रीति नीति अपनाती है ।

-भले या बुरे विचार मन   से निकलते है और अपने साथ सजातीयों का एक पूरा झुंड ले कर अपने उदग़म  स्थान पर  अपेक्षाकृत अधिक बलवान हो कर लौट आते है ।

-मनुष्य अपने विचारो से जहां  असंख्य लोगो को लाभान्वित करता है वहाँ उनसे बहुत कुछ प्राप्त भी  करता है ।

-हमारे विचार  दूसरों को कम और अपने को अधिक प्रभावित करते है ।

-खेत में बोया  हुआ बीज बढ़ता  और फलता है । उस फसल का लाभ बोने वाले किसान को मिलता है ।

-अपने मस्तिष्क रूपी खेत में हम विचारो के बीज बोते है और उनकी फसल ही काटते है । अशुभ बिचारी से दूसरों को भी  हानि होती है किंतु वापिस लौटने पर उनकी बढ चढ़ी घटक शक्ति अपने को ही अधिक भुगतनी पड़ती है ।

-यह बात सद  विचारो के सम्बन्ध में भी  लागू होती है ।

-ब्रह्मांड में हर चीज़ गोल गोल घूमती है ।

--सात्विक विचार वातावरण को प्रभावित  करते है ।  जिन जिन के बारे हम सोचते है, वे वहाँ  से गुजरते है और  उधर ही सुगंधित वायु जैसा उत्तम प्रभाव छोड़ते है । जब वे लौटते है तो अपने साथ और गुण  ले कर लौटते  है जिस  से  वह  शक्तिशाली हो जाते है तथा  उसके रचियता को लाभांवित करते है ।

-गाय सवेरे सवेरे जंगल में घास चरने जाती है और  शाम को घर  लौटती है तो वापिसी में घास से पेट भरने के साथ साथ थनो  में  दूध भी  भर  कर आती है ।

-यह संसार एक जंगल है । हमें  सिर्फ घास अर्थात जो हमारी  ड्यूटी है या लक्ष्य है केवल वही विचार  करने है, कहीं भी  जाये  सिर्फ अपने काम से सम्बन्धित बोल और कर्म करने है ।

-विचार  दुधारू गाय की तरह है । वे जहां से निकलते है वहां  मात्र विचार  होते है, परंतु वहाँ से गुजरने के बाद  वहाँ की शक्ति भी  अपने साथ ले आते है और वापिस लौटने पर  उत्पादक व्यक्ति को मालामाल  कर देते है ।

-बादल समुन्दर  से उठते है और धरती पर दूर  दूर तक बरसात करते है । धरती की प्यास बुझाते  है । यही पानी जब वापिस समुन्दर में लौटता है तो अपने साथ धरती के खनिज पदार्थ और मिट्टी भी ले आता  है ।

-हमारे विचार  बादल की तरह है । मस्तिष्क रूपी समुन्दर  में विचार  रूपी  बादल उठते है और दूर दूर जाते । जब लौटते है तो अपने जैसे विचार  ले कर लौटते है और सृजनकर्ता को  लाभ होता  है ।

-इस संसार को भव सागर कहा  गया है । वास्तव में मन भव सागर के समान  है । इस में बहुत विकार भरे  पड़े है । हमें सि जोर्फ वही  विचार  करने है जिस से अपना और दूसरों का भला हो ।

-हम आज जो सोच  रहें है यह 5000 साल बाद लौट कर आयेगा, इसलिये अच्छा ही सोचो  चाहे परिस्थिति जैसी भी  हो ।  हमें किसी का नुकसान नही करना । अब के अच्छॆ  विचार  हर प्रकार की नियामते अपने साथ ले कर आयेगें  ।  अपनी संकल्प शक्ति को प्यार का झरना बना दो  । जहाँ रुकावट है उसका ज्ञान खोजो और योग का भरपूर आनंद लो । भगवान  मेरे साथ है ऐसा भाव  मजबूत करो ।
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हर संकल्प एक पेड़ है
हर संकल्प एक पेड़ है

🧘🏻‍♂️हर संकल्प  एक पेड़ है 🌳

-आप जिस भी  शब्द का इस्तेमाल करते है वह एक पेड़ का बीज है । सोचते ही बीज से एक  छोटा  सा अंकुर   बन जाता है ।जिस व्यक्ति के बारे आप सोच  रहें है यह अंकुर   उस दिशा  में बढ़ता और फैलता जाता  है । 

-जितना ज्यादा आप सोचेगे यह अंकुर /पौधा  उतना ही फैलता जायेगा  और उस व्यक्ति को अपने लपेटे में ले लेगा । जो आप सोच  रहें है उसी अनुसार इस से निकल रही सुगंध या दुर्गंध वह व्यक्ति अनुभव करेगा ।

-यह पौधा  जितना दूसरे व्यक्ति की  तरफ़ बढ़ता  है उतनी ही इसकी जड़े आप के अंतर में भी  गहरी होती जायेगी और वैसा ही सुख या दुख आप को होगा जैसा दूसरे को हो रहा है ।

-अगर हम किसी के प्रति शांति, प्रेम, सुख,सहयोग, सम्मान, शाबाश, मुबारक आदि शब्द प्रयोग करते है तो  समझो  उसको ऐसे पेड़ों ने घेर लिया है जिन से वह हर समय आनंदित होता रहेगा । आप भी  आनंदित होते रहेंगे क्यों कि  इनकी जड़ आप में ही है ।

-अगर आप दूसरे या दूसरों के प्रति सोचते है वह गंदे है, बुरे है, झूटे है, बेईमान है,दगाबाज है, क्रोधी है, अहंकारी है, जिद्दी है, खोटे है, तो समझ लो  उन के चारो तरफ़ ऐसे पौधे उग आयें है जिन से उन्हे  दुख अनुभव होता रहेगा । तथ आप भी  ऐसा ही दुख अनुभव करते रहेंगे क्योंकि जड़ तो आप में ही फैलती गई है ।

- आनंद शब्द को मन में लगातार और जोर दे कर  दोहरायें  और एक समय ऐसा आयेगा जब आप का जीवन आनंदमय हो जाता  है । यह कोरी कल्पना नही, बल्कि एक सत्य है ।

-यदि आपके जीवन में ऐसी चीजे आ रही है जिन्हे आप नही चाहते, तो यह तय है कि आप अपने विचारो या अपनी भावनाओ के बारे जागरुक  नही रहते । इसलिये विचारो के प्रति जागरुक बनो ताकि आप अच्छा  महसूस कर सके और बदलाव ला सके ।

-याद रखो यह सम्भव ही नही कि आप अच्छॆ  विचार सोचे और बुरा महसूस  करें  ।

-जितने भी  महान लोग हुये है उन्होने ने हमें दया और प्यार का मार्ग दिखाया और इसकी मिसाल बन कर ही वे  हमारे इतिहास के प्रकाश स्तम्भ बने ।

-नाकारात्मक सोचने, बोलने और दुख अनुभव करने में बहुत एनर्जी खर्च हो जाती है ।

-सबसे आसान रास्ता है, अच्छा  सोचना, बोलना और करना ।
ओम शान्ति.. 

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