संकल्प एक कंपन है
- अल्ट्रा साउंड उस ध्वनि को कहते है जो मनुष्य के कान किसी भी स्थिति में सुन न सकें ।
--अति सूक्ष्म कम्पन्न को जब विद्युत आवेश प्रदान किया जाता है तो उसकी भेदन क्षमता इतनी बढ़ जाती है कि कितनी भी मजबूत धातु हो उसकी आन्तरिक रचना का स्पष्ट फोटोग्राफ प्रस्तुत कर देती है ।
-ब्रह्माण्ड में हर समय स्वर प्रवाह चलते रहते है
-इसी तरह मनुष्य में भी संकल्पों वा अन्य अनेकों रुप में कम्पन पैदा होते रहते है ।
-रीढ़ की हड्डी वीणा की तरह है ।
- सात दिव्य केन्द्रों के सात तार यहां जुड़े हुए है । जहां पर कम्पन पैदा होते रहते है ।
-मांस पेशियों के फैलने वा सिकुड़ने से कम्पन पैदा होते रहते है ।
-नाडियो में रक्त प्रवाह से भी कम्पन पैदा होते है ।
- मस्तिष्क में नेगेटिव व पॉज़िटिव के आरोह अवरोह से भी तरंगे बनती है ।
-कोशिकाओं के बनने वा टूटने से भी कम्पन पैदा होती है ।
-उपरोक्त क्रियाकलाप ही जीवन विद्युत के मूल आधार है ।
-एक सेकेंड में अगर 5 करोड़ कम्पन पैदा किये जा सकें तो रूई जल उठेगी । तथा कपड़े गर्म हो जायेगे ।
-जब हम योग युक्त स्थिति में रहते है तो उपरोक्त सभी कम्पन एनर्जी में बदल जाते है और एक सेकेंड में करोडो कम्पन पैदा कर सकते है । जो कि एनर्जी में बदल जाते है
संकल्प और कम्पन शक्ति
-कम्पन सिर्फ वाणी व मन द्वारा ही पैदा नहीं होते, शरीर के भिन्न भिन्न अंगो से भी ध्वनि तरंगे निकलती है ।
-एक कमरा ऐसा बनाया गया जिस में कोई बाहरी आवाज़ प्रवेश नहीं कर सकती थी .तथा इस कमरे में चुम्बकीय शक्ति का प्रभाव भी ख़त्म कर दिया था । इस में प्रवेश करने पर सीटी बजने, रेल चलने, झरने गिरने, आग जलने, पानी बरसने के समय होने वाली आवाजों जैसी ध्वनियां सुनाई पड़ती थी ।
-यह आवाजे मनुष्य के भीतरी भागो, दिल, फेफड़ों, गूर्दो, खून चलने वा नाड़ीयों की थी ।
-ये कम्पन इतने सूक्ष्म होते है जिन्हे कान नहीं सुन सकते ।
-राजयोग के अभ्यास से यही कम्पन शक्तिशाली बन जाते है तथा व्यक्ति के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन लाते है ।
-आज के युग में , जल में, हवाई जहाज में, आकाश में, कहीँ भी नंगी आँखो से देखने की जरूरत नहीं इसे ध्वनि या रेडियो तरंगों द्वारा देखा जा सकता है ।
-इस क्षेत्र में शोध जैसे आगे बढेगा वैसे ही हर तत्व बोलता हुआ सुनाई देगा ।
-कोई भी घटना ध्वनि का रुप धारण करती है ।
-ध्वनि और प्रकाश ऐसे आधार है, जिस से स्थूल को सूक्ष्म और सूक्ष्म को स्थूल में बदला जा सकता है ।
-अंतरिक्ष में हर समय ध्वनि कम्पन व संकल्पों से कम्पन उत्पन होते रहते है । जिसे हम सुन नही सकते क्योंकि कानो के सुनने की शक्ति कमजोर है ।
- राजयोग द्वारा हम संकल्पों द्वारा उत्पन्न सूक्ष्म कम्पनो को भी पकड़ सकते है । इस पर गहन खोज की जरूरत है ।
-ऐसे लगनशील भाई बहनों की जरूरत है जो तन, मन वा धन से बंधन मुक्त हो उन्हे किसी किस्म की सोचने की जरूरत न हो, उन्हे हर सुविधा मिले और वह दिन रात इसी खोज ने लगे रहे ।
शब्द एक कम्पन है ।
-मन में विचार उत्पन्न होता है तो मस्तिष्क को पता है कि बाहरी जगत को इस संकल्प से परिचित कराने लिये किन किन स्वर यंत्रों में किस प्रकार की हलचल की जानी है ।
-संकल्प के पीछे जो इच्छा शक्ति होती है उस से उच्चारण अंगो में उतार चढाव होता है, उस से मुख में भरी हुई हवा में आघात लगता है और उस से ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती है ।
-हमारे कान उन्हे सुनते है और उनका विशलेषण कर मस्तिष्क बताता है, किस ने किस प्रयोजन के लिये क्या कहा ।
-इच्छा से मुख अंगो में गति बनती है और गति से तरंगे बनती है ।
-यह कंपन मोटे शव्दो में वायु में हुये कम्पन कहे जाते है ।
-ये कम्पन वास्तव में वायु के भीतर रहने वाले सूक्ष्म तत्व ईथर से होते है
-ईथर तत्व के परमाणु अत्यंत सूक्ष्म और अति संवेदनशील होते है । वे एक सेकेंड में 34 अरब तक कम्पन कर सकते है ।
-जब यह कम्पन एक चरम सीमा तक पहुँचते है तो अखंड प्रकाश की किरणें निकलने लगती है । इन्ही किरणो को एक्सरेज कहते है ।
-ये किरणें एक सेकेंड में एक करोड़ मील चल लेती है ।
-संकल्पों की गति 30 करोड़ किलो मीटर प्रति सेकेंड है ।
-रेडियो तरंगे व टेलिविज़न आदि का निर्माण इसी आधार पर हुआ है ।
- वायु के कम्पन नष्ट हो जाते है ।
-ईथर के कम्पनो का कभी नाश नहीं होता । वे सदा अमर रहते है । जैसे जैसे ईथर से बने कम्पन पुराने होते जाते है वैसे वैसे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की सतह पर जा कर स्थिर हो जाते है ।


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