मानसिक शक्ति- संकल्प (2)

मानसिक शक्ति-संकल्प

मानसिक शक्ति mind Power in Hindi

शक्ति 

- संकल्प वास्तव में विद्युत हैं ।  संकल्पों को विद्युत तरंगों में बदल कर हम गाडियां व  कारखाने  चला सकते है, घरो में विद्युत से प्रकाश लें  सकते है । अभी हमे इस क्षेत्र में खोज करनी है ।

-संकल्प द्वारा शाप, वरदान, रोगॊ से मुक्ति पा सकते हैं । परंतु ये शक्ति कैसे  पैदा  हो यह  खोज करनी हैं ।

-एकाग्रता द्वारा संकल्प शक्ति का प्रयोग अगर हम सीख लें  तो बहुत शक्तिशाली बन सकते हैं ।

-संकल्प विद्या ध्वनि आधारित  विज्ञान है ।

-संकल्प शक्ति सब भौतिक शक्तियों  से महान है ।

-हम जो कुछ  बोलते व सोचते है उसका प्रभाव व्यक्ति व  वातावरण पर पड़ता  है ।

- मुख से निकला प्रत्येक शब्द आकाश के सूक्ष्म परमाणुओं में कम्पन पैदा  करता  है ।

-संकल्प की इस शक्ति से स्थूल जगत और आकाश  के पिंडों में जबरदस्त विस्फोट किया जा सकता है ।

-संकल्प से सूक्ष्म में जो  वायुमंडल में विद्युत है,   प्रकाश है,  गर्मी है,  उस को  भी  आकर्षित किया जा सकता है ।

-आवश्यकता सिर्फ उसकी सही जानकारी और सही प्रयोग की है । तब हम सारे विश्व पर  स्वामित्व प्राप्त कर सकते है ।

-वाणी ही भावनाओ  को  उभारती व तरंगित करती है ।

-अपमान सूचक शब्दों से क्रोध आता है । उस समय संकल्प रूपी विद्युत मेंं शार्ट  सरकट  हो जाता है़ जिस कारण हम क्रोधित हो उठते है़ ।

-मधुर शब्दो  से शत्रु को मित्र बनाया जा सकता है । मधुर शब्दों से संकल्पों  मेंं  चुंबक बन जाता है़ जो दूसरे लोगों की अपनी तरफ खींच लेते हैं  ।

-शब्द स्वयं, दूसरो को, समस्त सूक्ष्म जगत को प्रभावित करता  है ।

-श्रेष्ट शब्दों  से विशेष शक्तिशाली और प्रभावी  उत्पादक कम्पन उत्पन्न  होते है । शब्दों के पीछे वास्तव मेंं संकल्प होते हैं ।  संकल्पों मेंं जितना प्रेम होता है उतने ही बोल शक्तिशाली  होते हैं ।
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😇-मानसिक शांति -संकल्प 

-संकल्प जो मन में  रिपीट करते है उसके कम्पन अंतरिक्ष में बिखरते हुये परिस्थितियो को अनुकूल बनाते है ।

-वह  संकल्प शब्द भेदी  बाण  की तरह  सूक्ष्म जगत के उन संस्थानों से टकराता  है जिन्हे प्रभावित करना साधना  का लक्ष्य है ।

-उच्चारित  होने के बाद संकल्प अंतःकरण के मर्म स्थलों की  गहराई  में उतरता  है और वहाँ से  उस शक्ति स्त्रोत की उर्जा से सम्पन्न होकर ऊपर आता  है ।

-मर्म स्थल अर्थात संकल्प के पीछे प्यार, विरोध, दुख, उलाहना, दया, नफरत आदि की जो भावना  होती है, उस भावना  के  एनर्जी केन्द्र से शक्ति लेता है और जब बोलते है तो वैसा ही सुनने वाला अनुभव करता है ।

-मशीने टूटती फूटती है, उनकी  सम्भाल के लिये कुशल कारीगर रखने पड़ते है । ज़रूरी ईंधन भी  देना पड़ता है ।

-हमारा  शरीर एक मशीन है, जिस में अथाह शक्तियां  है, परंतु इस की देखभाल  का पता  नहीं, इसलिये  यह भी  हमे ज्ञान होना चाहिये कि  शरीर को कौन सा ईंधन देना है ।

-शरीर में प्रचंड शक्तियां  है । इसका भौतिक उपयोग सभी जानते है, आहार वा पालन पोषण,  काम धँधा, परिवार की उत्पति आदि में कहां शक्ति खर्च करनी है सब जानते है ।

-आत्मा में सूक्ष्म शक्तियों  है जो संकल्प से प्राप्त की जा सकती है, परंतु ये कोई बिरला ही जानता है । इसी की  खोज करनी है ।

-सच्चे  ध्यान से सूक्ष्म शक्तियों के दरवाजे खुलते  हैंं ।

-जीवन मेंं जरा भी दुःख हैंं,  अतृप्ती हैंं,  परेशानी हैंं ,  संबंधो मेंं खटास हैंं तो समझो ध्यान की  शक्ति कम हो गई  हैंं और दूसरों से मन मेंं टकराते रहते हैंं ।

-हर रोज जितने  लोग आप के संपर्क मेंं आते हैंं या बाजार आते जाते दिखाते हैंं या पड़ोसी हैंं  ।  मन मेंं उन्हे हर घंटे 5 बार जरूर कहो  आप स्नेही  हैंं स्नेही हैंं तो आप का ध्यान बहुत अच्छा लगेगा ।

- हम जो कुछ  किसी के बारे में सोचते है, वह विचार  उस मनुष्य से टकराते है । तथा  लौट कर हमारे पास आते है । जब वह लौटते है तो उस की विचारधारा अपने साथ लें  आते है । उसके विचारो के बारे हमे पता  चलता  है।

- जैसे विचार  हम भेजते है वैसा ही प्रभाव हम उस पर छोड़ते है । जितना ज्यादा हमारा  मन शुध्द होगा उतना ही प्रभाव हम उस ओर डाल सकते है ।

- शुध्द आहार- विहार, उच्च  दृष्टकोण, श्रेष्ट चरित्र, उदारता का भाव,सेवा की भावना  से जो शब्द व विचार  सोचेगे वह बहुत ही प्रभावशाली  होगे ।

- अविश्वास, व्यग्र स्वभाव, बेगार टालने की भावना  से जो विचार  व बोल होंगे वह शक्तिहीन होंगे ।

-संकल्प ही विश्वकर्मा है । इसी से सारा संसार रचा  गया है ।

-जहाँ मन है, वहां  संकल्प है, बोल है, शब्द है ।

-शब्द शक्ति के भण्डार होते है । यदि मनुष्य मन में  सदा  अच्छे संकल्प रखे  तो वह साधारण व्यक्तियों  की अपेक्षा हजारो गुणा शक्तिशाली होगा ।

-चमगादड़ भागते समय हल्की चीख निकालता है । वह वस्तु  से प्रतिध्वनित हो कर लौटती है और यह सूचना दे देती  है कि  वस्तु कैसी है । इस प्रकार  वह उस से टकराता  नहीं ।

-किसी बिंदू पर से एक सेकेंड में गुजरती तरंग  के उतार चढाव को लहर की फ्रेक्वेन्सी  कहां जाता  है।

-डायनमो की मोटर निरंतर घूमने से विद्युत पैदा  होती है । डायनमो का घूमना  बंद हो जाये तो उसी क्षण विद्युत का उत्पादन रुक जायेगा ।

- एक शुद्ध संकल्प को माइंड में रखने से एक ऐसा चक्र या च्क्र्व्यूह  बनता है जो एक निच्छित  गोलाई से चक्र काट के सोचने वाले के पास  लौट आता  है ।तब उस विचार  में शक्ति बनने लगती है, जिस के परिणाम स्वरूप  हमे खुशी मिलती है,  उत्साह बढ़ता  है, शक्तिशली  महसूस करते हैं  ।

-यह खुशी हमें  आध्यात्मिक विद्युत  के कारण होती है, जो एक शुध्द  संकल्प को मन में घूमा  रहे होते है ।

-जैसे ही संकल्प का घूमना  मन में बंद करते हैं, उसी समय  आध्यात्मिक  विद्युत प्रवाह रुक जाता  है  ।

-किसी विचार  को रिपीट अर्थात मनन करना । किस संकल्प के बाद कौन सा संकल्प रखने से किस  प्रकार  की विद्युत पैदा होगी, इस रहस्य से हमारे ऋषि मुनि परिचित थे । जो लुप्त हो गया है । फ़िर से इस खोज की जरूरत है  ।

-हर स्वर, हर शब्द, हर संकल्प  एक विशेष कम्पन पैदा करता  है । जिस से विद्युत पैदा  होती है या नष्ट होती है ।

- संकल्प एक प्रत्यक्ष शक्ति है जिस का  अणु शक्ति, विद्युत शक्ति तथा  ताप शक्ति की तरह   प्रयोग  किया  जा सकता  है  और जीवन मेंं मनचाहे लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं ।

- शांति के संकल्प की एकाग्रता से हम  अपने शक्ति केन्द्रों से शक्ति खींचते   है  तथा  दूसरी तरफ़ वातावरण  में एक विशेष प्रकार के स्पंदन उत्पन्न करते   है । जैसे रेडियो तरंगे चारो तरफ़ फैल जाती है पर दिखती नहीं । जो व्यक्ति शांतिमय विचारो में  होंगे उन्हे और अच्छा  लगने लगेगा ।

- पृथ्वी के चारो तरफ़ बने चुम्बकीय शक्ति का जो आवरण का घेरा  है, संकल्प उस से टकरा कर वापिस लौटते है । तथा  परावर्तित हो कर सम्पूर्ण पृथ्वी के वायुमंडल में फैल जाते है ।  ये संकल्प जीव जन्तुओं, पेड़ पौधों  सभी पर समान  रुप से प्रभाव डालते है ।

- यदि सामूहिक रुप से किसी एक संकल्प को दोहराते है तो वैसी ही मानसिक  दशा  बन जाती है जैसी ध्यान   लगाने पर बनती है ।

-7 से 13  प्रति सेकेंड निकलने वाले सकारात्मक संकल्प  व्यक्ति के मन वा शारीर  पर अनुकूल वा उत्साह वर्धक  प्रभाव डालते   है ।  अगर संकल्पों की गति और कम हो  जाये  समाधि जैसा सुख मिलता है ।

-भूमि  के  चुम्बकीय प्रवाह से टकराने के बाद संकल्प की ये तरंगे अपनी प्रकृति के अनुसार प्रभाव डालती है ।  आँधी की धूल या कारखानों का धुआँ पूरे  वातावरण तथा  पेड़ पौधों और  मनुष्यों पर प्रत्यक्ष दिखता है । ऐसे ही संकल्पों का प्रभाव होता  है ।

-टोनोस्कोप नाम का एक यंत्र है । उस में जब कुछ  बोला जाता है तो वह शब्द परदे पर  एक आकृति के रुप  में उभर आते  है ।

-इस यंत्र  में उँकार  बोला जाये तो एक विशेष प्रकार  की आकृति बनती  है । इस आकृति का सुखद प्रभाव मन वा शरीर पर होता है ।  जब कि  बातचीत के दूसरे शव्दो से ऐसी आकृति नहीं बनती ।

-हमे ऐसे शब्द वा संकल्प खोजने है  जिनके बोलने से विशेष प्रकार की आकृतियों बनती है और जिन का मन वा शरीर पर  सकारात्मक प्रभाव पड़ता  है ।

-श्रेष्ट संकल्पों  को सदा  दिमाग में रखने से समाधि  की  तरह शक्ति प्राप्त होती रहती  है  जिस से  स्मैक, हिरोइन जैसी  तीव्र नशीली आदतें भी  छूट जाती है ।

-शरीर के विकास में अन्न, जल और वायु का पोषण चाहिये ।

-उसी प्रकार  संकल्प शक्ति के विकास के लिये ब्रह्मचर्य एवम विश्व कल्याण की  भावना  चाहिये ।

-शब्द, ध्वनियां  एवम संकल्प हर व्यक्ति को  प्रभावित करते है । जैसे  बादल का गर्जना, शेर की  दहाड़ और संगीत सभी को प्राभावित  करते है ।

-शब्द व संकल्प में शक्ति कहाँ से आती है ।

-जो शब्द कानो से सुने जा सकते है उनकी शक्ति बहुत कम होती है । यदि 150 वर्ष तक कानो से ध्वनि सुनी जाये तो उस से इतनी एनर्जी बनेगी जिस  से मात्र एक कप चाय  गर्म होगी   परंतु संकल्पों  की  शक्ति बहुत ज्यादा होती है ।

-विचार  के रुप में जो मानसिक तरंगे पैदा होती है और किसी चीज़ व व्यक्ति से टकराती है अर्थात उस के बारे सोचते है तो वह तरंगे बहुत शक्तिशाली  बन जाती है ।

-संकल्प की  ध्वनि सुनाई नहीं देती पर इतनी तेज होती है कि  विश्व के किसी भी  भू  भाग  व  चंद्रमा और सूर्य आदि में  क्रांति  ला  सकती है ।

-आप विचारो को ऐसे समझो ये शब्द है और जैसे ही किसी व्यक्ति के बारे सोचते है वह सुन रहा है ।  चाहे उसे हम जानते  है या नहीं जानते । क्योंकि यह बोल सूक्ष्म होते है और सुनने वाला  वह सही शब्द तो नहीं समझता परंतु उसके मन पर प्रभाव करेगा और उसे हमारे विचार  के अनुसार महसूस होगा और वह वही प्रतिक्रिया   करेगा ।

-इस लिये आप अपने पर ध्यान रखो मै जो सोच  रहा हूं वह सुन रहा है । अतः ध्यान रखो क्या यह शब्द मै उसे मुख से बोल सकता हूं । अगर नहीं बोल सकता  तो सोचना  भी  नहीं । क्यीकि  वह  आप का हर विचार   सुन रहा है ।  यहां ज्ञानी अज्ञानी का भेद नहीं है ।
ओम शान्ति

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