टाइम ट्रेवल तरंगे और मनचाहे लक्ष्य कैसे प्राप्त करें
हैलो दोस्तो इस पोस्ट में पढ़ेंगे कि आप कैसे मन की शक्ति के प्रयोग से मन चाहे लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं । अगर आपने पिछली पोस्ट नहीं पढ़ा है तो जरूर पढ़ें।
एंटी टाइम ट्रेवेल तरंगे
- हमें यह सिखाया जाता है कि महत्वकांक्षी बनो, सफल हो, सबसे अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो, कक्षा में प्रथम आओ इत्यादि|
-अपना और अपने माँ बाप का नाम रोशन करना, प्रतिष्ठा कमाना और बाद में एक ज्यादा पैसे कमाने वाली नौकरी को पा लेने की अपनी योग्यता को विकसित करना ।
- दूसरों से आगे निकलना हमारे माता, पिता, अभिभावक, शिक्षक सभी हमें यही सिखाते हैं ।
- बच्चे और बड़े दोनों ही इस प्रतिस्पर्धा में शामिल हैं|
- जो जितना महत्वकांक्षी है उसमें उतनी ही इर्ष्या की संभावना है, घृणा की संभावना है और वह उतना ही हिंसक है|
-महत्वकांक्षी व्यक्ति अपने आस पास के लोगों से जब तक आगे रहता है उस की इर्ष्या, घृणा तथा हिंसा उसके अन्दर ही दबी रहती है पर जैसे ही उसके आस पास का कोई व्यक्ति उससे ऊपर उठने लगता है तो उसमें विरोध का भाव जाग उठता है|
-अब वह दूसरा व्यक्ति उसे सहयोगी की तरह नहीं दिखता वह उसे प्रतियोगी की तरह दिखने लगता है|
- इस चाह के चलते अब वह अपना पोषण करने के लिए दूसरे व्यक्ति का शोषण करने को भी तैयार हो जाता है|
-वह दूसरे व्यक्ति को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, दूसरे व्यक्ति को अपने सफलता के मार्ग से हटाने की कोशिश करता है, दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की कोशिश करता है, यहाँ तक कि दूसरे व्यक्ति को ख़त्म तक कर देने की कोशिश करता है ।
- अधिक महत्वकांक्षी व्यक्ति ही अधिक से अधिक लोगों का रोल मोडल बना बैठा है। वही प्रतिष्ठा पा रहा है, उसका ही अनुसरण किया जा रहा है। वही दूसरे लोगों के लिए निर्णय लिए जाने के लिए प्रतिनिधि के रूप में चुना जा रहा है|
-हमारे आस पास के ज्यादातर लोग शोषण प्रवृति के है ।
-यही कारण है कि अधिकतर लोगो से मिलते ही हमें हीनता होने लगती है, ईर्ष्या होने लगती है, मन ही मन दुखी होने लगते है । हमारी उन्नति में विघ्न आने लगते है । हमें घुटन होने लगती है । हमें अपना पन नहीँ लगता ।
- बस इस अहसास को बदलना है ।अगर यह बदल दे तो हमारी मानसिक एंटी टाइम तरंगे हमारे को आगे बढ़ाने लगती है ।
-आप किसी बड़े व्यक्ति से मिलते है तो हम मन में सोचने लगते है मैं तो बस क्लर्क हूं, साधरण ग्रहणी हूं, मैं तो बहुत गरीब हूं । ये विचार आप की एंटी टाइम तरंगो को कमजोर करते है ।
-मान लो आप डी. सी. से मिलते है तो मन में यह सोचा करो मैं कमीशनर हूं । अगर किसी टीचर से बात करते है तब सोचा करो मैं प्रिंसिपल हूं । किसी एम.एल .ए. से बात करते है तो सोचा करो मैं मंत्री हूं । मुख्य मंत्री से बात करते है तो यह सोचा करो मैं प्रधान मंत्री हूं । किसी सिपाही से बात करते है तो सोचा करो मैं थानेदार हूं ।
-ऐसे कोई भी बड़ा और शक्तिशाली व्यक्ति जो सामने आए या घर में हो या पड़ोस मेंं हो दफ्तर मेंं हो, तुरंत मन मेंं अपने को उस से बड़ा समझा करो । आप के इस प्रकार से सोचने पर आप के मन की एंटी टाइम तरंगे आप में ऐसा बल भर देगी जो सामने वाला आप को डिस्टर्ब नहीँ कर पाएगा । बस यह मन मेंं करना है लोगो को नहीँ बताना क्योकि वह आप का साधारण रूप देख कर आप का मजाक उडाएंगे और आप का मनोबल तोड़ देगे ।
-आप किसी नौकरी वाली बहिन या भाई को देखतें और आप को ईर्ष्या होती है क्योकि आप को नौकरी नहीँ मिली । ऐसी अवस्था मेंं सोचा करो मैं इस से भी बड़ी नौकरी प्राप्त करूंगी । आप को सिर्फ नौकरी से संबंधित पुस्तके पढ़नी हैं । अगर आप अनपढ़ है तब सोचा करो मैं पढूंगी और इस से उच्च नौकरी प्राप्त करूंगी अगर इस जन्म नहीँ मिली तो अगले जन्म श्रेष्ट पद प्राप्त करूंगी ।
-आप के ये भाव आप की मानसिक एंटी टाइम रेडियो तरंगो के द्वारा आप के लिए वैसी ही परिस्थितयां बना देगी । तथा आप किसी से प्राभावित नहीँ होगे ।
टाइम ट्रेवल तरंगे और मनचाहे लक्ष्य कैसे प्राप्त करें ।
-आप का कोई ना कोई लक्ष्य था । हम किन्ही कारणो से पूरा नहीँ कर सके ।
-कारण यह कि हमें अपनो ने या दूसरे लोगो से जिन पर विश्वास किया था उन्होने धोखा दिया । आप की जायदाद लूट लें गए, आगे बढ़ने मेंं सहयोग नहीँ किया, आप का शोषण किया । नाजुक पलों मेंं मुह फेर गये। आप मनचाहे लक्ष्य प्राप्त नहीँ कर पाए ।
-प्राय ऐसे विचार समान्य व्यक्ति के मन मेंं चलते रहते हैं ।
-ये विचार करते रहने से मन की एंटी टाइम तरंगे वही वही आप को अनुभव कराती रहेगी । आप बुरे अनुभवो से बाहर नहीँ आएंगे, मन मेंं तनाव बना रहेगा और आगे नहीँ बढ़ पाऐगे । हर पल रोना आता रहेगा ।
-मनचाहे लक्ष्य पाने के लिए सिर्फ यह याद रखो कि पुरानी भूलो से क्या सीख मिली ।
-आप जो बनना चाहते थे, करना चाहते थे, वह अपने बच्चो को बना दो आप का लक्ष्य पूरा हो जाएगा । किसी भी उपलब्धि के पीछे कई पीढियो का हाथ होता हैं ।
-जिन कारणो से आप लक्ष्य नहीँ पा सके वह दिकते अपने बच्चों को मत आने दो ।
-आप का किसी ने शोषण किया या पैसा लूट गया उसकी चिंता ना करें । प्रक्रति हरेक चीज का हिसाब किताब रखती हैं ।
- जिन लोगो ने आप के धन को लूटा हैं वह सारा धन अगले जन्म मेंं उनको को ब्याज सहित लौटाना पड़ेगा । इसलिए चिंता क्यो करते हो । प्रक्रति एक एक पाई लौटाएगी । भगवान के घर देर हैं अंधेर नहीँ ।
-आप अपने लक्ष्य को अब भी प्राप्त कर सकते हैं ।
-आप डॉक्टर्स बनना चाहते हैं तो डॉक्टर्स कोर्स की बूकस खरीद लो । हर रोज कुछ पेज पढ़ते रहो । अगर समझ नहीँ आता तब भी एक एक पेज को ध्यान से देखा करो । यह ज्ञान बहुत गहरे तल पर आपके दिमाग मेंं चला जाएगा जीवन पर्यन्त आप ऐसा करते रहें । अब तो शायद आप डॉक्टर नहीँ बन पाऐगे क्योकि ऐज फेक्टर होता हैं । परन्तु यह पक्का हैं कि आप अगले जन्म डॉक्टर जरूर बनेगे ।
-आप आई ए एस बनना चाहते थे । अब आई ए एस की बुक्स हर रोज पढ़ते रहो। ये सारा ज्ञान आत्मा मेंं चला जाएगा और आप अगले जन्म छोटी उम्र मेंं ही आई ए एस बन जाएंगे ।
- आप जो बनना चाहते थे मन मेंं अब भी अपने को वही समझते रहो । मैं इंजिनियर हूं, मैं विज्ञानिक हूं, मैं राजा हूं, मैं धनवान हूं । ऐसी स्मृति रखने से आप कि मनोदशा बहुत ऊंची रहेगी और वैसी ही परिस्थितिया बनती जाएगी वैसे ही लोग जीवन मेंं आते जाएंगे ।
-लक्ष्य प्राप्त ना होने ना होने का कारण, धोखा खाने का कारण क्या था उसकी गहराई मेंं जाने पर आप पाऐगे कि आप को समझ नहीँ थी, ज्ञान नहीँ था ।
-सफलता का आधार ज्ञान हैं । इसलिए अपने दिमाग पर खर्च करो । लक्ष्य से संबंधित पुस्तके पढ़ा करो। ट्यूशन रखा करो । प्रोग्राम तथा सत्संगों मेंं, साधना शिविर मेंं भाग लिया करो । यह आप की इन्वेस्टमेंट हैं जो हर जन्म मेंं काम आती हैं ।
- आप मेंं जो भी कला हैं उसके द्वारा विश्व की सेवा किया करो ।
- अगर आप पाक कला मेंं निपुण हैं तो आप अपनी गली की लड़कियों और महिलाओ को सिखाओ । इसके लिए उन्हे कल्पना मेंं अपने घर बुलाओ और उन्हे कल्पना में ही सिखाओ । ऐसे हर रोज करते रहो ।
-अगर आप ज्ञान मेंं अच्छे हैं तो उन्हे बाबा का ज्ञान और योग सिखाते रहो
-आप डॉक्टर हैं तो दूसरे भाइयो को कल्पना मेंं यह सिखाते रहो ।
-आप की एंटी टाइम मानसिक तरंगे सचमुच मेंं उन सब बहिनो और भाइयो के दिमाग को प्रशिक्षित कर रही हैं और वह महान बन जाएगे ।
-इसी विधि से अपने मुहल्ले, शहर, राज्य, देश और विश्व की आत्माओ को सामने देखतें हुए उन्हे अपनी कला सिखा दो । सारा संसार आप जैसा बनने लगेगा और अच्छे व्यक्ति आप के जीवन मेंं आने लगेगे और बुलंदियां छूने लगेगे ।
-यह सब ईथर के माध्यम से सचमुच होने लगता हैं ।
-हम जो भी चाहते हैं मन द्वारा वह सब करते रहो ।
-यह संकल्प ही कर्म हैं। कर्म मनुष्य को महान बना देता हैं तथा आप के मनचाहे लक्ष्य पूरे होते हैं ।
-हमें अपनी जिंदगी के जो हिस्से अच्छे नहीँ लगते उसके लिए हम अपने बाहर के किसी कारण को जिम्मेदार ठहराते हैं ।
-हम अपने माता पिता, अपने अफसरों, अपने दोस्तो, मीडिया, अपने साथ काम करने वालो, अपने ग्राहको, अपने जीवन साथियो, अपने दोस्तो, अपने ग्राहको, मौसम के उतार चढ़ाव, अर्थ व्यवस्था, अपनी कुण्डली, अपने पैसो के अभाव को जिम्मेदार ठहराते हैं ।
-ऐसा सोचने से हमारे मन से निकली एंटी टाइम तरंगे दूसरो की कमियो पर एकाग्र हो जाती हैं और हम उन लोगो से टकराते रहते हैं जिस से मानसिक शक्ति नष्ट होती रहती हैं और हम धीरे धीरे शारीरिक और मानसिक रोगी बनने लगते हैं ।
-सबसे बड़ी कामयाबी हासिल करने के लिए आप को अपनी जिंदगी की खुद जिम्मेदारी लेनी होगी ।
-तुम ने वह सब खुद रचा हैं जो तुम्हारे साथ हो रहा हैं । यही सच हैं ।
-अगर तुम सचमुच सफल होना चाहते हैं तो तुम्हे दूसरो को दोषी ठहराना और शिकायत करना छोड़ना ही होगा । तथा अपनी जिंदगी के लिए पूरी जिम्मेदारी उठानी होगी ।
-दूसरो पर दोष मढ़ने की आदत को सदाकाल के लिए छोड़ना होगा ।
-हम ऐसे विचारो मेंं डूबे रहते हैं जो हमांरे चारो तरफ सीमाए खड़ी कर देते हैं ।
-यह इसलिए होता हैं क्योकि हम लगातार खुद को शिक्षित करने मेंं विफल रहते हैं, नए कौशल सीखने मेंं कोताही बरतते हैं, फालतू की गपछप मेंं जुटे रहते हैं । अस्वस्थ्यकर चीजे खाते हैं, कसरत करने मेंं गुरेज करते हैं,आमदनी से ज्यादा खर्च करते हैं, भविष्य के लिए निवेश नही करते, जरूरी संघर्ष से कतराते हैं। सच बोलने से कन्नी काटते हैं । जो हम चाहते हैं उसकी फरमाइश नही करते । फिर हम अचरज से भर उठते हैं कि आखिर हमारी जिंदगी बेहतर क्यो नही , इतनी गड़बड़ क्यो हैं ।
- अगर आप इन पहलुओ पर कार्य करते हैं तो एंटी टाइम तरंगे निर्माण कार्य में लग जाती हैं और हमारी उन्नति आरम्भ हो जाती हैं ।
- ज्यादातर लोग ऐसा नही करते हैं, हर वह चीज जो उनके माफिक नही है उसका दोष बाहरी घटनाओ और कारणो पर डाल देते हैं ।
-बद क़िस्मती से अधिकांश लोग अपनी आदतों के इस तरह गुलाम होते हैं कि हम कभी अपना व्यवहार नहीँ बदलते ।
-हम पहले से तय शुदा प्रतिक्रियाओ मेंं - अपने जीवन साथी और मित्रो के प्रति, अपने सहकर्मियों के प्रति, अपने ग्राहको के प्रति, अपने चाहने वालो के प्रति और असमान्य रूप से सारी दुनिया के प्रति फंसे रह जाते हैं । हमारी मानसिक तरंगे इसी चक्रव्यूह में अटकी रहती है ।
-हम तयशुदा प्रतिक्रियाओ का समूह हैं जो हमारे नियंत्रण से परे सक्रिय रहती हैं ।
-हमें अपने विचारो, अपनी छवियों, अपने सपनो और दिवा सपनो पर दुबारा काबू पाना होगा ।
-जो भी आप सोचते, कहते और करते हैं, वह आप के उदेश्य आपके मूल्यो और लक्ष्यों से उसका तालमेल बैठाना चाहिऐ ।
-अगर आप को अपने परिणाम पसंद नही तो अपनी प्रतिक्रियाएं बदलनी होगी ।
-जो विरोधी व्यक्ति मन में आते है उनके प्रति मन में प्रतिक्रिया बदलो । अब तक हम मन में उनको बुरा, भला कहते थे ।आज से तुरंत उन्हे कहो आप शांत हो, आप का कल्याण हो या और कोई साकारात्मक प्रतिक्रिया किया करो । इस से एंटी टाइम मानसिक तरंगो की शक्ति बढ़ेगी और आप के लिए निर्माण के रास्ते खुलते जाएंगे ।
-विश्व की आत्माओ को सदा अपने सामने देखतें हुए उन्हे कहते रहो आप सभी शांत स्वरूप है प्रेम स्वरूप है । आप को अपार शांति और प्रेम महसूस होने लगेगा ।
-क्या आप ने कभी गुरुत्वाकर्षण बल के बारे किसी को शिकायत करते सुना है ।
-कोई भी गुरुत्वाकर्षण के बारे कुछ नहीँ कर सकता । हम उसे स्वीकार कर लेते है और इस शक्ति से लाभ कैसे लें सकते हैँ सिर्फ इस पहलू पर सोचते रहते है ।
-भूत काल के बारे हम कुछ नहीँ कर सकते । हम सिर्फ इतना कर सकते हैं कि इस से सीख क्या ली । अगर इस की नकारात्मक घटनाए याद रखेगे तो धरती की चुम्बकीय शक्ति की तरह यह हमें तोड़ कर रख देगा क्योकि मन की एंटी टाइम तरंगे हमें बूरे अनुभवो से बाहर नहीँ निकलने देगी
-पहली सीख यह है कि जिन व्यक्तियों और परिस्थितियो के बारे हम शिकायत करते रहते है उन्हे हटा नहीँ सकते परन्तु उनके बारे अपनी प्रतिक्रिया को बदल सकते है ।
-दूसरी सीख यह है कि आप अपनी सोच को सकारात्मक कार्य में लगा दे ।
-बेहतर नौकरी की खोज कर सकते है । अपने सपने को साकार करने के लिए समय निकाल सकते हैं । फिर से पढ़ाई शुरू कर सकते हैं । आत्म विकास का कोई प्रशिक्षण लें सकते हैं । अधिक पैसे कमा सकते हैं । दबाव आने पर ना कह सकते हैं । किसी दूसरे मोहल्ले में जा कर रह सकते हैँ । यह सब साकारात्मक कार्य हैं ।
-लोग हमेशा गलत लोगो से शिकायत करते हैँ । उन लोगो को शिकायत करते है जो कुछ नहीँ कर सकते ।
-आप के नल में पानी नहीँ आ रहा है परन्तु आप शिकायत बिजली बोर्ड को करते हैँ । वह इस मामले में कुछ नहीँ कर सकता ।
-आप अपने बॉस से परेशान हैँ और शिकायत पत्नी को करते हैँ । वह इस मामले में कुछ नहीँ कर सकती ।
-आप की तबियत खराब हैँ और इलाज दर्जी से पूछते हैँ । वह कुछ मदद नहीँ कर सकता ।
-आप को जो भी परेशानिया आ रही हैं, उन सब का इलाज हमारे पूर्वजो ने पुस्तको में लिख रखा हैं । इसलिए अपनी समस्या से संबंधित पुस्तके पढ़ो । इधर उधर शिकायते करने की जरूरत नहीँ हैं ।
-कोई भी समस्या का हल बताने वाले अनेको लोग मिलेगे । आप ने वह शिक्षा फालो करनी हैं जिस में कल्याण और निर्माण समाया हो ।
-आप को कोई भी समस्या आ रही हैं उस से बचने के लिए किसी ना किसी व्यक्ति या किसी प्राणी या प्राकृति के किसी तत्व को प्यार देते रहो । आप का मन कल्याण में लगा रहेगा।
-चाहे कितनी भी आंधी आए तूफान आए कम्पास की सुई सदा ही उतर दिशा की ओर रहती है ।
-चाहे कैसी भी परिस्थितयो हो सदा मन परमात्मा में लगाए रखने से सब तुफानो से पार हो जाएंगे । अगर भगवान याद ना आए तो अव्यक्त मुरली या कोई अन्य साकारात्मक बुक पढ़ते रहें तो सभी मानसिक तूफान, विकारों की अंधिया , सब खत्म हो जाती है और अपनी मंजिल पर पहुंच जाते है ।
-आप को ऐसे लोग मिलेगे जो तर्क और दलीले दे कर आप को अपने लक्ष्य से अलग करने, उसे छोड़ने का फैसला करने के लिए उकसायेगे, मनाने की कोशिश करेगे ।
-वे आप से कहेगे कि आप पागल हैं और जिस काम का इरादा आप ने किया है वह पूरा नहीँ किया जा सकता ।
-ऐसे भी होंगे जो आप पर हंसेंगे और आप को नीचे अपने स्तर तक घसीटने की कोशिश करेगे ।
-ये दलीले बर्फीले तूफान की तरह होती है ।
-ऐसे लोगो की बाते मत सुनो ।
-आप अपना मन पढ़ने में लगाए और मानसिक सेवा करते रहो तो इन आत्माओ के चंगुल से बच सकेगे ।
-आप जो चाहे बन सकते हैं, जो चाहो प्राप्त कर सकते हो, क्योकि दिमाग जो कुछ सोच सकता है उसे हासिल कर सकता हैं ।
-दिमाग एक शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर हैं जिस के द्वारा सोची गई प्रत्येक चीज प्राप्त की जा सकती हैं सिर्फ विश्वाश हो कि यह हो सकता हैं ।
-दिमाग एक शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर हैं जिस के द्वारा सोची गई प्रत्येक चीज प्राप्त की जा सकती हैं सिर्फ विश्वाश हो कि यह हो सकता हैं ।
-मैं नहीँ कर सकता जैसे वाक्य और उसके भाई बंधुओ, काश मैं करने लायक होता या काश मैं कर सकता, को त्यागना होगा । यह शब्द, मैं नहीँ कर सकता, दरअसल आपको शक्तिहीन बना देते हैं ।
- दिमाग की बनावट ही ऐसी है कि जो भी समस्या उसके सामने रखें उसे वह हल कर सकता है और आप के दिए गये लक्ष्य को पा सकता हैं ।
-आप जो चीज चाहते है उसके बारे सिर्फ सोचो । सोचना ही कर्म हैँ ।
-आप सोचो मुझे चाय पीनी है तो आप चाय बना लेगे या किसी होटल पर चले जाएंगे या किसी मित्र के घर चले जाएंगे और चाय पिएंगे ।
-आप सोचो मुझे एक साड़ी लेनी है । दिन में दो-तीन दिन सोचते रहो । आप सोचेंगे कौन सी कम्पनी तथा किस रंग की खरीदूंगी । फिर नकद खरीदूंगी या उधार खरीदूंगी । अगर नकद खरीदनी है तो पैसे का प्रबंध करेगे तथा एक दिन समय निकाल कर बजार जायेगे और साड़ी खरीद लाएगी ।
-आप को चंडीगढ़ जाना है, जाना हैँ, यह सोचो और एक दिन चंडीगढ़ के लिए चल पड़ेगे ।
-आप सोचते है मुझे 8 बजे आफिस के लिए निकलना है । 8 बजते ही हम अपने आप चल पढ़ते है ।
-हम कोई भी काम करते है उसके पहले सोचते हैँ ।
-जब हम कुछ करने के लिए सोचते हैँ तो हमारे मन की एंटी टाइम तरंगे वह सब करने लग जाती हैँ और तब तक लगी रहती हैँ जब तक वह सचमुच में हमारे जीवन में न आ जाए ।
- ऐसे ही आप जीवन में जो भी करना चाहते है । जो प्राप्ति चाहते है । उसकी लिस्ट बना लो ।
-मान लो आप एक मकान चाहते है । एक कार चाहते है । आप टीचर बनना चाहते है । आप चाहते है कि आप को 50000 हजार रुपये हर मास मिलता रहे । आप लेखक बनना चाहते हैँ । आप का जीवन साथी समझदार हो, मिलनसार हो, केयर करने वाला हो । इसके इलावा भी जीवन में जो कुछ चाहते है, उन चीजो की लिस्ट बना लो ।
-मनचाही प्राप्तियों की लिस्ट बनाते ही आप की एंटी टाइम मानसिक तरंगे कार्य करने लगती हैँ ।
-एक दिन में कम से कम तीन बार इस लिस्ट को रिवाइज़ करते रहो । उस पर सोचते रहो कि इन्हे कैसे प्राप्त कर सकते है ।
-यह सब किसी से डिसकस करने से बचना हैँ, नहीँ तो आप के सब से नजदीकी लोग आप की पत्नी, आप का मित्र आप का विरोध करेगा यह कैसे हो सकता हैँ और मन ही मन आप की मानसिक तरंगो को काटेंगे ।
- आप अपनी इच्छाओं के बारे सोचते रहे, उसके लिए पुस्तके पढ़ते रहे और संबंधित लोगो से मिलते रहे, आप को विचार आएंगे कि किस लक्ष्य के लिए क्या करना है । वह आवश्यक कार्य भी करो ।
-धीरे धीरे आप की सभी इच्छाएं पूर्ण होने लगेगी ।
-यह सब करते हुए बिंदु रूप परमात्मा या इष्ट को याद भी करना हैँ ।
ओम शान्ति.


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