सुविचार जो आपको जीवन में हर परिस्थिति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देता है। इस लेख में आपको शिक्षाप्रद सुविचार और सर्वश्रेष्ठ सुविचार दिया गया है।
लोग तो हमेशा रास्ते में पत्थर फेंकेंगे ही,यह आप पर निर्भर है कि आप उन पत्थरों से पुल बनाते हैं या दीवार
कभी न कहो कि दिन अपने खराब हैं, समझ लो कि हम कांटों से घीर गये गुलाब हैं
सारे साथी काम के, सबका अपना मोल, जो संकट में साथ दे वो सबसे अनमोल
जितना हालात हमे परेशान नही करते, उतने हम अपने ही विचारों से परेशान हो जाते हैं, अतः जिसके पास जितने शुभ विचार होंगे, उतना ही उनके सुखी रहने की संभावना बढ़ जायेगी
हमें जो मिला है हमारे भाग्य से ज्यादा मिला है...यदि आपके पाँव में जूते नहीं है तो अफसोस मत कीजिए.. दुनिया में कईं लोगों के पास तो पाँव भी नहीं है,इसलिए हमें हमेशा परमात्मा की रजा में ही राजी रहना चाहिए
जो व्यक्ति हर पल दुख का रोना रोता है, उसके द्वार पर खड़ा हुआ बाहर से ही लौट जाता है
ज्यादातर हालात हमें तब तक तकलीफ देते हैं, जब तक हम उसे अपने कर्मों का फल अथवा ईश्वर का दिया हुआ प्रसाद न समझ लें, और जब हम उसे स्वीकार कर लेते हैं, हम सरल हो जाते हैं
उम्मीद वर्षों से खड़ी वो मुस्कान है जो हमारे कानों में धीरे से कहती है 'सब अच्छा होगा'
हमारी सोच जितनी बड़ी होती है,उतना ही हम जीवन की हर छोटी बात को नज़र अंदाज़ कर सकते हैं
अच्छे हालात में हर इंसान अच्छा व्यवहार कर लेता है, वास्तव में इंसान की सही पहचान विपरीत हालात ही कराते हैं
अकेले ही लड़नी होती है,जिंदगी की लड़ाई क्योंकि लोग सिर्फ तसल्ली देते है साथ नही।
किसी भी माहौल, वस्तु या व्यक्ति की आदत ही लगाव कहलाती है, समझ और सम्मान की भावना से ही हम लगाव से मुक्त हो सकते हैं।
हमारी पूरी कोशिश खुशहाल माहौल के निर्माण करने की होनी चाहिए, क्योंकि अच्छे माहौल में दुखदाई चीजें भी सुखदाई हो जाती है, जबकि नीरस माहौल, खुशहाल इंसान को भी प्रभावित कर देता है।
हर इंसान के अपने हालात और मानसिक स्थिति होती है, वह उसी अनुसार समाधान की तलाश करता है, समाधान के दो तरीके होते हैं, या तो खुद की मानसिक स्थिति को हालात के अनुरूप ढाल लो अथवा हालात को ही अपने अनुसार बदल दो।
किसी भी विषय को हम सकारात्मक या नकरात्मक दोनों ही पहलू से देख सकते हैं, अतः सबसे पहले हमारे सामने वही नज़रिया आता है, जैसे हमारे संस्कार होते हैं
हम अपने जीवन में अवश्य सफल होंगे यदि हम उन सभी सलाहों को मानें जो हम दूसरों को देते हैं
ज्ञान को समझना और धारण करना सहज हो जाये, जब हम ज्ञान को अपने निजी स्वार्थ हेतु समझने का प्रयास न कर , बल्कि जीवन मुक्ति अर्थात विभिन्न मानसिक बेड़ियों से स्वतंत्र होने के लिए ज्ञान समझने व धारण करने का प्रयत्न करने लगें।
किसी को कभी दुख मत देना क्योंकि दी गई चीज़ एक दिन हजार गुणा होकर लौटती है
हंसता हुआ चेहरा आपकी शान बढ़ाता है मगर हंसकर किया हुआ कार्य आपकी पहचान बढ़ाता है
हमें अपने ज्ञान का अहंकार तो होता पर अगर अपने अहंकार का ज्ञान हो जाये तो जीवन सरल हो जाये।
इंसान के दुख के बहुत से कारणों में से एक बड़ा कारण, जो प्राप्त है, उसका लगातार ईश्वर को धन्यवाद न कर, बल्कि जो प्राप्त नही उसके पीछे ही अपने मन बुद्धि को लगातार उलझाये रखना है।
सेवा करने वाले हाथ मंत्र बोलने वाले होंठों से अधिक पवित्र होते हैं
अगर हमारे एक दूसरे को किये सहयोग का उद्देश्य..उनके साथ दबावपूर्ण व्यवहार होता है, तो हमें इस पर विचार करने की ज़रूरत होगी, कि क्या हमारा सहयोग एक सफल सहयोग कहलायेगा।
किसी की अच्छाई को नजरअंदाज और बुराई को भाव कभी न दें ... क्योंकि आप वही धारण करते हैं जिसका अधिक चिन्तन करते हैं। अतः दूसरों में यदि गुण न ढूंढ सको तो अवगुण कभी न ढूंढें ..
खुद के बारे में न किसी पीर से पूछो न किसी फकीर से पूछो, बस, अपने जमीर से पूछो
ज़र्रे-ज़र्रे पर खुदा की निगाहे करम है,ना तुम पर ज्यादा ना हम पर कम है
ऊंचा वहीं उड़ सकता है जिसने अपनी पीठ पर व्यर्थ बोझ न रखा हो
एक दो को देखने की बजाय स्वयं को देखो और परिवर्तन करो
मनुष्य अपने गुणों से आगे बढ़ता है,न कि दूसरों की कृपा से
मन की सोच सुंदर हो तो सारा संसार सुंदर नजर आयेगा।
लोग तो हमेशा रास्ते में पत्थर फेंकेंगे ही,यह आप पर निर्भर है कि आप उन पत्थरों से पुल बनाते हैं या दीवार
कभी न कहो कि दिन अपने खराब हैं, समझ लो कि हम कांटों से घीर गये गुलाब हैं
सारे साथी काम के, सबका अपना मोल, जो संकट में साथ दे वो सबसे अनमोल
![]() |
| Hindi suvichar |
जितना हालात हमे परेशान नही करते, उतने हम अपने ही विचारों से परेशान हो जाते हैं, अतः जिसके पास जितने शुभ विचार होंगे, उतना ही उनके सुखी रहने की संभावना बढ़ जायेगी
हमें जो मिला है हमारे भाग्य से ज्यादा मिला है...यदि आपके पाँव में जूते नहीं है तो अफसोस मत कीजिए.. दुनिया में कईं लोगों के पास तो पाँव भी नहीं है,इसलिए हमें हमेशा परमात्मा की रजा में ही राजी रहना चाहिए
जो व्यक्ति हर पल दुख का रोना रोता है, उसके द्वार पर खड़ा हुआ बाहर से ही लौट जाता है
ज्यादातर हालात हमें तब तक तकलीफ देते हैं, जब तक हम उसे अपने कर्मों का फल अथवा ईश्वर का दिया हुआ प्रसाद न समझ लें, और जब हम उसे स्वीकार कर लेते हैं, हम सरल हो जाते हैं
![]() |
| Hindi suvichar |
उम्मीद वर्षों से खड़ी वो मुस्कान है जो हमारे कानों में धीरे से कहती है 'सब अच्छा होगा'
हमारी सोच जितनी बड़ी होती है,उतना ही हम जीवन की हर छोटी बात को नज़र अंदाज़ कर सकते हैं
अच्छे हालात में हर इंसान अच्छा व्यवहार कर लेता है, वास्तव में इंसान की सही पहचान विपरीत हालात ही कराते हैं
अकेले ही लड़नी होती है,जिंदगी की लड़ाई क्योंकि लोग सिर्फ तसल्ली देते है साथ नही।
किसी भी माहौल, वस्तु या व्यक्ति की आदत ही लगाव कहलाती है, समझ और सम्मान की भावना से ही हम लगाव से मुक्त हो सकते हैं।
हमारी पूरी कोशिश खुशहाल माहौल के निर्माण करने की होनी चाहिए, क्योंकि अच्छे माहौल में दुखदाई चीजें भी सुखदाई हो जाती है, जबकि नीरस माहौल, खुशहाल इंसान को भी प्रभावित कर देता है।
![]() |
| Suvichar in hindi |
हर इंसान के अपने हालात और मानसिक स्थिति होती है, वह उसी अनुसार समाधान की तलाश करता है, समाधान के दो तरीके होते हैं, या तो खुद की मानसिक स्थिति को हालात के अनुरूप ढाल लो अथवा हालात को ही अपने अनुसार बदल दो।
किसी भी विषय को हम सकारात्मक या नकरात्मक दोनों ही पहलू से देख सकते हैं, अतः सबसे पहले हमारे सामने वही नज़रिया आता है, जैसे हमारे संस्कार होते हैं
हम अपने जीवन में अवश्य सफल होंगे यदि हम उन सभी सलाहों को मानें जो हम दूसरों को देते हैं
ज्ञान को समझना और धारण करना सहज हो जाये, जब हम ज्ञान को अपने निजी स्वार्थ हेतु समझने का प्रयास न कर , बल्कि जीवन मुक्ति अर्थात विभिन्न मानसिक बेड़ियों से स्वतंत्र होने के लिए ज्ञान समझने व धारण करने का प्रयत्न करने लगें।
किसी को कभी दुख मत देना क्योंकि दी गई चीज़ एक दिन हजार गुणा होकर लौटती है
हंसता हुआ चेहरा आपकी शान बढ़ाता है मगर हंसकर किया हुआ कार्य आपकी पहचान बढ़ाता है
![]() |
| Suvichar image |
हमें अपने ज्ञान का अहंकार तो होता पर अगर अपने अहंकार का ज्ञान हो जाये तो जीवन सरल हो जाये।
इंसान के दुख के बहुत से कारणों में से एक बड़ा कारण, जो प्राप्त है, उसका लगातार ईश्वर को धन्यवाद न कर, बल्कि जो प्राप्त नही उसके पीछे ही अपने मन बुद्धि को लगातार उलझाये रखना है।
सेवा करने वाले हाथ मंत्र बोलने वाले होंठों से अधिक पवित्र होते हैं
अगर हमारे एक दूसरे को किये सहयोग का उद्देश्य..उनके साथ दबावपूर्ण व्यवहार होता है, तो हमें इस पर विचार करने की ज़रूरत होगी, कि क्या हमारा सहयोग एक सफल सहयोग कहलायेगा।
![]() |
| Hindi suvichar |
किसी की अच्छाई को नजरअंदाज और बुराई को भाव कभी न दें ... क्योंकि आप वही धारण करते हैं जिसका अधिक चिन्तन करते हैं। अतः दूसरों में यदि गुण न ढूंढ सको तो अवगुण कभी न ढूंढें ..
खुद के बारे में न किसी पीर से पूछो न किसी फकीर से पूछो, बस, अपने जमीर से पूछो
ज़र्रे-ज़र्रे पर खुदा की निगाहे करम है,ना तुम पर ज्यादा ना हम पर कम है
ऊंचा वहीं उड़ सकता है जिसने अपनी पीठ पर व्यर्थ बोझ न रखा हो
एक दो को देखने की बजाय स्वयं को देखो और परिवर्तन करो
मनुष्य अपने गुणों से आगे बढ़ता है,न कि दूसरों की कृपा से
मन की सोच सुंदर हो तो सारा संसार सुंदर नजर आयेगा।






बहुत बढ़िया है और पोस्ट कीजिए
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें